तीश कैबिनेट का बड़ा फैसला: 62 करोड़ की सौगात – नए हॉस्टल और भवन का निर्माण, छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी!
अगर आप कभी बिहार में पढ़ाई किए हैं, तो आपको पता होगा कि यहाँ कॉलेज के हॉस्टल में एक बिस्तर के लिए भी “लॉटरी सिस्टम” जैसा माहौल रहता है। सुबह से शाम तक, एडमिशन के साथ ही हॉस्टल की लाइनें भर जाती हैं। और अगर किसी तरह हॉस्टल मिल गया, तो समझिए जैसे “कुंभ का अमृत” पा लिया। 😄
लेकिन अब तस्वीर बदलने वाली है! 13 अगस्त 2025 को नीतीश कुमार की अगुवाई वाली कैबिनेट ने एक ऐसा फैसला लिया है, जो न सिर्फ़ छात्रों की पढ़ाई आसान बनाएगा, बल्कि हॉस्टल की कमी को भी काफी हद तक खत्म करेगा।
क्या है बड़ा फैसला?
📅 तारीख: 13 अगस्त 2025 (बुधवार)
🏛 विभाग: विज्ञान, प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग
📍 स्थान: अभियंत्रण महाविद्यालय परिसर
💰 कुल बजट: ₹62 करोड़ 07 लाख 44 हज़ार
इस बजट से बनने वाले प्रोजेक्ट:
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वास्तुकला विभाग का नया भवन
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300 बेड का G+5 बालक छात्रावास
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200 बेड का G+3 बालिका छात्रावास
G+5 और G+3 क्या है?
अब कई लोग सोच रहे होंगे – ये G+5, G+3 का मतलब क्या है? 🤔
सिंपल भाषा में कहें तो, "G" यानी Ground Floor और "+" के बाद जितना नंबर, उतने फ्लोर।
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G+5 मतलब ग्राउंड फ्लोर के ऊपर 5 और मंजिलें (कुल 6 मंजिल)।
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G+3 मतलब ग्राउंड फ्लोर के ऊपर 3 मंजिल (कुल 4 मंजिल)।
यानि, ऊँचाई में भी बिल्डिंग “पड़ोस के आम के पेड़” से ज्यादा होगी। 😄
क्यों है ये फैसला खास?
बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों में हॉस्टल की कमी लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। कई छात्रों को कॉलेज से दूर किराए पर रहना पड़ता था, जिसमें सफ़र, खर्च और समय – तीनों बर्बाद होते थे।
अब जब 300 लड़कों और 200 लड़कियों के लिए नया हॉस्टल बन जाएगा, तो:
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छात्रों का किराया और ट्रेवल खर्च बचेगा
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पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा
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सेफ़्टी और सिक्योरिटी बढ़ेगी
मेरी नज़र में…
मैंने खुद पटना में पढ़ाई की है और जानता हूँ कि हॉस्टल में जगह मिलना कितना मुश्किल होता है। कई बार तो सीनियर के पास खाली बेड मिलने के लिए "जनसंपर्क कौशल" लगाना पड़ता था।
मुझे याद है, एक बार मेरे दोस्त ने हॉस्टल नहीं मिलने की वजह से क्लास के बाद रोज़ 8 किलोमीटर साइकिल चलाकर घर आता था। सोचिए, गर्मी में 40°C में! अब ऐसे फैसले के बाद शायद आने वाले बैच के स्टूडेंट्स को ये दिक्कत नहीं होगी।
सरकार का उद्देश्य क्या है?
ये सिर्फ़ बिल्डिंग बनाने का मामला नहीं है, बल्कि एक पूरे शिक्षा माहौल को बदलने का प्रयास है। नीतीश सरकार पिछले कुछ सालों से:
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तकनीकी शिक्षा का विस्तार
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इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार
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और लड़कियों की शिक्षा में सुविधा बढ़ाने पर जोर दे रही है
शिक्षा विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
शिक्षा नीति विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार का मानना है –
“छात्रावास केवल रहने की जगह नहीं होते, बल्कि ये छात्रों को आत्मनिर्भर बनाते हैं। यहाँ का माहौल पढ़ाई के साथ-साथ टीमवर्क, अनुशासन और सामाजिक मेलजोल भी सिखाता है।”
आम सवाल (FAQ)
Q1. ये नया भवन कब तक बनकर तैयार होगा?
👉 सरकार ने अभी प्रशासनिक स्वीकृति दी है। टेंडर और निर्माण में लगभग 18–24 महीने लग सकते हैं।
Q2. क्या ये हॉस्टल सिर्फ़ आर्किटेक्चर विभाग के छात्रों के लिए होंगे?
👉 प्राथमिकता वास्तुकला विभाग और उसी कॉलेज के छात्रों को मिलेगी, लेकिन बाद में जरूरत के हिसाब से अन्य छात्रों को भी सुविधा मिल सकती है।
Q3. हॉस्टल का किराया कितना होगा?
👉 अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन सरकारी हॉस्टल का किराया निजी मकानों से काफी कम होता है।
Q4. लड़कियों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम होंगे?
👉 CCTV, सिक्योरिटी गार्ड, और एंट्री-एग्जिट रजिस्टर जैसे प्रोटोकॉल अनिवार्य होंगे।
इससे कौन-कौन होंगे फायदे में?
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स्टूडेंट्स: रहने और पढ़ाई की सुविधा
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पैरेंट्स: बच्चों की सुरक्षा और खर्च में बचत
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कॉलेज: बेहतर रैंकिंग और अधिक एडमिशन
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स्थानीय अर्थव्यवस्था: निर्माण से रोजगार
आगे की राह…
अगर ऐसे फैसले हर जिले के कॉलेज में लागू हों, तो बिहार के छात्रों को न बाहर जाना पड़ेगा, न किराए के मकानों में रहना पड़ेगा। साथ ही, शिक्षा के स्तर में भी सुधार होगा।
अंतिम शब्द
ये सिर्फ़ “ईंट और गारे” का मामला नहीं है। ये आने वाले हजारों इंजीनियरों और आर्किटेक्ट्स का भविष्य बनाने की नींव है। और नींव मजबूत होगी, तो इमारत अपने आप ऊँची खड़ी होगी।
💬 आपकी राय?
क्या आपके कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा थी, या आप भी रूम खोजते-खोजते थक गए थे? नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं।
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